हां उसका नाम है शंम्मो, मोहल्ले के लड़के उससे शंम्मो जान कहते हैं हर दिल अजीज है बूढ़े भी उसे भाभी कहना पसंद करते हैं उम्र कहीं यही कोई 31 32 के आसपास गेहूं रंग खूबसूरत सा बदन जैसे इंद्रलोक की कोई अप्सरा.मोहल्ले मैं यही कोई 5 साल पहले रहने आई थी अपने अधेड़ पति के साथ जो देखने में कभी-कभी उसका पिता लगता है मोहल्ले में जहां से भी गुजरती है कोई औरत प्यार से ऊपरी दिखावे के लिए बोलती हैै तो कोई मन ही मन गालियां देती है शंम्मो की एक बेटी है जिसे पढ़ने केेे लिए दूसरे शहर के हॉस्टल में छोड़ रखा है क्योंकि वह नहीं चाहती कि उसकी परछाई भी उसकी बेटी पर पड़े. शंम्मो कुछ काम से वह घर से कुछ दूर आती है जहां उसे उसी के मोहल्ले औरतें दिखती हैं. दोनों आपस में खुसर पुसर कर रही होती है शंम्मो सज धज के निकली है रास्तेे शर्माइन चाची संगीता भाभी खड़ी थी जो उसे नीचा दिखाने एक भी मौका छोड़ती थी शंम्मो उस से आते हुए सामने से देखते हुए. संगीता भाभी - सुना चाची जा रही होंगी अपना नया शिकार फसाने....चाची - कलमुही कभी नहीं सुधरेगी सारे संसार के मर्दों को अपने प्यार के सागर में डूबा देगी. दोनों मुंह दबा दबा कर हंसती हैं .तभी शंम्मो भी वहां आ जाती है ,शंम्मो - क्या हुआ चाची और भाभी आप दोनों काहे इतना हंस रही हैं.अरे कुछ नहीं समिता.ओ ना मोहल्ले में नया परिवार रहने आया है ना मिश्रा जी के यहां पता नहीं क्या देखकर इस मोहल्ले में रहने आ गए सुना है बहुत अमीर हैं किसी बैंक के मैनेजर है पति-पत्नी और एक बेटा है बस बेचारे बूढ़े मिश्रा जी अपने अकेलेपन को दूर करें करने के लिए दे दिया होगा मकान किराए पर.चाची ने अपनी हथेली नचाते हुए कहा.तभी संगीता भाभी कटाक्ष करते हुए अरे समिता जा तू भी मिलने तेरे सहयोग की बहुत जरूरत उन्हें है कहकर दोनों मुंह दबाकर फिर हंसने लगती हैं.
शंम्मो मुस्कुरा कर वापस घर की तरफ लौट पड़ती है घर आकर बेड पर धम्म से बैठ जाती है और आंखें बंद कर कुछ कहीं दूर पुरानी यादों में खो जाती है कि कैसे वह शंम्मो जान बनी.हां पुरानी यादों में एक खूबसूरत से चंचल से मासूम लड़की समिता समिता नाम था उसका.मम्मी पापा और उनकी इकलौती बेटी समिता घर में किसी चीज की कमी नहीं थी सब कुछ खुशियों से भरा था प्यारे दोस्त जान से ज्यादा चाहने वाले मम्मी पापा और क्या चाहिए था फिर अचानक किसी की समिता की खुशियों में को नजर लग गई.एक दुर्घटना में उसकी मां उससे बहुत दूर चली गई समिता का भरा पूरा परिवार टूट कर बिखर गया पिता टूटे टूटे बिखरे बिखरे रहने लगे.समिता के दोस्त रिंकू और मिताली बराबर उसके घर आते हैं उसे कभी भी अकेलापन महसूस नहीं होने देते पर अचानक नियति ने समिता के साथ खेल. की एक बार फिर समिता टूट कर बिखर गई..
समिता के पिता एक भट्टे पर काम करने वाली औरत के चक्कर में फस गए जो उन्हीं के घर में झाड़ू पोछा करने आया करती थी उसके बारे में या कहानी थी वह कई पतियों को छोड़ कर आ चुकी थी शुरू शुरू में समिता के पिता को साहब साहब करके घर के सारे काम और शमिता की समय-समय पर सहायता भी करती थी उसके दो बच्चे थे एक बेटा निरंजन और बेटी सुमेखा थी समिता भी उसके साथ घुलमिल गई और उसके पिता को कहीं ना कहीं या लगने लगा कि अगर इससे शादी कर ली जाए तो मेरा परिवार फिर से एक हो जाएगा, और ऐसा सोचकर उन्होंने ऐसा कदम उठा लिया फिर कुछ दिनों बाद समिता की मां बनकर घर आ गई समिता के पिता ठेकेदारी का काम करते थे ज्यादातर वह घर से बाहर ही रहते थे इसीलिए दूसरी शादी की की समिता का ख्याल रखने वाला कोई होना चाहिए,
और सब घर की सारी जिम्मेदारी शमिता की नई मां को दे दी.
फिर कुछ दिन बाद उसने अपने असली रंग दिखाना शुरू कर दिया, वह जब भी समिता के पिता घर आते वाह उन्हें खूब भटकाती समिता क्यों लेकर धीरे-धीरे ही सही समिता के पिता अपने बेटी की तरफ से मुंह मोड़ने लगे 1 दिन समिता के पिता कहीं काम से दूसरे शहर गए हुए थे,
शाम तक वापस आना था उस दिन समिता स्कूल नहीं जा सकी उसके 12वीं के एग्जाम होने वाले थे तो उसकी सहायता के लिए मिताली ने रिंकू को भेज दिया क्योंकि, कुछ कारणवश वा नहीं आ सकी रिंकू के घर आने पर सविता की मां ने दिखावटी रूप से रिंकू और शमिता को एक साथ कमरे में पढ़ाई करने की इजाजत दे दी समिता और रिंकू पढ़ाई कर ही रहे थे,की शाम हो गई और शमिता के पिता वापस घर आ गए तभी उसकी मां के दिमाग में एक नई चाल आई ,
समिता और रिंकू को नाश्ता देने के बहाने उनके पास गई और चुपचाप थोड़ी सी केचप रिंकू के पैर के पास गिरा दी जो समिता के गेट के बगल चेयर पर बैठा था ,
और समिता के पिता के पास जाकर कहती पता नहीं है लड़की क्या-क्या करती रहती है सारा दिन अपने दोस्तों को कमरे में बुलाकर चलिए आप ही समझाइए मुझसे तो मेरी बातें सुनती ही नहीं और जैसे ही उस समिता को पिता के कमरे के पास लेकर आती है
पहले ही तेज आवाज में रिंकू समिता जाकर चिल्लाती है, जिससे रिंकू में जल्दबाजी खड़ा होता है और केचप पर पैर पड़ने की वजह से उसका पैर फिसल जाता है और वह बेड पर बैठी समिता के ऊपर गिर जाता है तभी समिता की मा समिता के पिता को लेकर वहां आ जाती है दोनों को इस स्थिति में देखकर समिता के पिता बहुत नाराज होते हैं वह तुरंत ही रिक्त रिंकू को एक थप्पड़ लगाकर घर भेज देते हैं
और उसके बाद समिता की मां को बड़ा चढ़ा कर इस बात को बनती है जिससे उसके पिता समिता की खूब पिटाई करते हैं और उसे घर में बंद करके देते हैं कि आप से या घर से कहीं बाहर जाने ना पाए और उसकी पढ़ाई भी आज से बंद.
समिता रोती रह जाती है मगर उसके पिता उसकी एक भी बात नहीं सुनते फिर आए दिन एक किस्सा शुरू हो जाता है समिता की सौतेली मां किसी न किसी बहाने समिता के खिलाफ उनके पिता को भड़का आती रहती है 1 दिन समिता के पिता हफ्ते के लिए शहर से बाहर गए हुए होते हैं शमिता की सौतेली मां इसी बात का फायदा उठाते हुए अपने एक पुराने मालिक जिनकी काफी उम्र हो जाने के बाद भी शादी नहीं हो रही है उनसे रिश्वत लेकर समिता का रिश्ता कर देती है एक दिन समिता को बहाने से मंदिर ले जाती है,और प्रसाद के बहाने उसे नशीली दवा खिलाकर जबरजस्ती अधेड़ व्यक्ति के साथ उसकी शादी करा देती है ,
जब समिता को होश आता तो उसे यही बताती है कि अब से तेरे पति है आपसे तो इन्हीं के साथ रहेगी समिता का तो रोना ही नहीं रुक रहा था एक मासूम सी 15 16 साल की लड़की जिसे दुनियादारी भी नहीं आती उससे कैसे बंधन में बांध जाता है
व्यक्ति जबरन समिता को अपना सारा का घर बार छोड़कर दूसरे शहर ले आता है और समिता को सालों से भूखा वह व्यक्ति कई दिनों तक नोचता है सविता को अपने पूरे अस्तित्व से नफरत हो गई थी ,मुस्कुराहट हंसी खुशी सब उसके चेहरे से गायब हो गई थी ,
वह व्यक्ति घर में एक नौकरानी रखा था जो सुबह शाम आकर खाना बना कर घर का साफ सफाई करके चली जाती थी और इसके बाद समिता का बूढ़ा पति उसे बंद करके अपने काम पर चला जाता और शाम को ही आकर वापस घर खोलता.
एक दिन समिता के पति को अचानक है उससे एहसास होता है उन्हें भी अब एक बच्चे की जरूरत है और वाकई डॉक्टरों के पास समिता का इलाज करवाता है मगर कोई लाभ नहीं मिलता फिर कुछ डॉक्टरों की सलाह पर वो खुद की जांच करवाता है तो सारी कमजोरी उसी की निकलती है कि उम्र ज्यादा हो जाने से के कारण वह पिता बनने में आसक्षम है इसी तरह कई साल बीत जाते हैं समिता के उम्र अब 21 साल हो चुकी है वह अब एक परिपक्व युवती बन चुकी है समिता का पति दिन-रात इसी कोशिश में लगा रहता है किसी तरह समिता मां बन जाए और कुछ दिनों बाद उसे अवसर प्राप्त हो जाता है समिता के पति के दूर के रिश्तेदार का बेटा पढ़ाई करने के लिए उन्हीं के शहर में रह रहा होता है जब यह जानकारी समिता के पति को मिलती है तो जा कर उनके माता-पिता से मिलता है और कहता है कि आपका बेटा मनोज हमारे यहां रहकर पड सकता है,
मनोज के पिता को इन सब से कोई आपत्ति नहीं होती वह सभी मनोज का आज्ञा दे देते हैं समिता के पति के यहां रहने के लिए समिता का पति जानबूझकर घर के अंदर वाला ही कमरा उसे किराए पर देता है ताकि इस बार बार समिता का उस से सामना हो और समिता को खास हिदायत देकर उसके चाय नाश्ता खाने पीने की बंदोबस्त करने को कहता है, धीरे-धीरे मनोज को भी बड़ा अजीब लगता है कि चाचा जी की उम्र कितनी और शमिता की.
समिता कुछ ना बोलती वह नियम अनुसार सुबह शाम सभी चीजें मनोज के खाने पीने की व्यवस्था देखा करती......
To be continued.......